धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
Chalisa is a forty-verse prayer dedicated to a particular Hindu God or Goddess. The verses of a Chalisa glorify the functions and deeds of your deities. It contains verses praying to the Lord for ending sorrow in our life and delivers peace, wellness, and prosperity.
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे ।
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सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ जो यह पाठ करे मन लाई ।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।